प्रधानमंत्री कार्यालय ने रोजगार के आंकड़े जुटाने का नया तरीका सुझाया

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नई दिल्ली। रोजगार के आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर देश में छिड़ी बहस के बीच सरकार जीएसटीएन के जरिये नौकरियों के नए आंकड़े जुटाने को कदम उठा सकती है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने रोजगार के आंकड़े जुटाने का नया तरीका सुझाने को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया की अध्यक्षता में जिस उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया था उसने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। टास्क फोर्स का कहना है कि जीएसटीएन की मदद से रोजगार के माहवार, तिमाहीवार या वर्षवार आंकड़े जुटाए जा सकते हैं। 

सूत्रों ने कहा कि पानगड़िया की अध्यक्षता वाले इस टास्क फोर्स ने अपनी ड्राफ्ट सिफारिशें पीएमओ को सौंप दी हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इन सिफारिशों को जनता की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक कर दिया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक टास्क फोर्स ने जीएसटीएन का इस्तेमाल कर नौकरियों के आंकड़े जुटाने को एक सर्वे डिजाइन करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन करने की सिफारिश भी की है। 

टास्क फोर्स का कहना है कि जीएसटीएन में वस्तु और सेवाओं में कारोबार करने वाले 20 लाख रुपये से अधिक सालाना कारोबार वाले व्यापारी और उद्यमी रजिस्टर्ड होंगे। इनकी संख्या भी समय-समय पर अपडेट होती रहेगी। इसलिए इसके माध्यम से देशभर में रोजगार के आंकड़े जुटाए जा सकते हैं। 

जीएसटीएन यानी जीएसटी नेटवर्क में 20 लाख रुपये से अधिक कारोबार करने वाले हरेक व्यापारी रजिस्टर्ड कर रहा है। जीएसटीएन इन कारोबारियों का पंजीकरण करके 15 डिजिट का यूनिक नंबर (जीएसटी नंबर) जारी करता है। इस नंबर के माध्यम से सरकार जीएसटी के दायरे में आने वाली कंपनियों और फर्मों में रोजगार की स्थिति के आकलन के लिए सर्वे कर सकेगी।

यह सर्वे कब और कैसे किया जाएगा, इस संबंध में सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय संयुक्त तौर पर काम करेंगे। टास्क फोर्स ने जीएसटीएन नंबर को यूनिवर्सल एंटरप्राजेज नंबर बनाने की सिफारिश भी की है। इसके अलावा एक केंद्रीय सर्वर भी बनाने की सिफारिश की है ताकि उसके माध्यम से केंद्र सरकार के रोजगार के संबंध में सभी आंकड़े एक जगह पर ही मिल जाएं। समिति ने रोजगार के आंकड़े जुटाने की मौजूदा व्यवस्था में दोहराव से बचने की सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि पीएमओ ने मई में इस टास्क फोर्स का गठन किया था।

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