पहली बार बनारसी राजनीति में ऐसा हुआ…. जिसे जान आप भी रह जायेगें दंग

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बनारस की आठों सीट पर किसी एक दल ने पहली बार जमाया कब्जा
बाबा भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी काशी एक ऐसा शहर जो कि अपनी सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत के लिये जाना जाता है साथ ही अल्हड देशी अंदाज यहां के जनता की खासियत है और इसी खासियत के नब्ज को पकड़ते हुये भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल किया।
तब से लेकर आज तक प्रधानमंत्री मोदी को बनारस का जनता ने खुले दिल से स्वागत किया है और इसी का नतीजा रहा कि 2017 के लोकसभा चुनाव में बनारस ने एक ऐसा इतिहास रच दिया जो कि बनारसी राजनीति में अभी तक नही हुआ हैं।
टिकट बटंवारें के समय में बनारस में भाजपा के नेताओं में जिस तरह से मतभेद सामने आया था। उसको देखकर लग रहा था कि बनारस में भाजपा की राह इस बार आसान नही होने वाली। बनारस में भाजपा के साथ मोदी की प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी थी।
चुनाव के ऐन पहले प्रधानमंत्री का तीन दिनी बनारसी दौरे का रंग बनारस की जनता के ऐसे सिर चढ़ा कि बनारस में पहली बार बीजेपी ने आठों की आठ सीट पर कब्जा जमाया साथ ही किसी भी राजनीतिक दल ने पहली बार बनारस की आठों सीट पर कब्जा जमाया है।
जिसमें पिण्डरा से डा. अवधेश सिंह, शिवपुर से अनिल राजभर, वाराणसी दक्षिणी से नीलकंठ तिवारी, अजगरा सुरक्षित से कैलाश नाथ सोनकर, रोहनियां से सुरेन्द्र सिंह औढे़, सेवापुरी से नील रतन पटेल, कैंट से सौरभ श्रीवास्तव, वाराणसी उत्तरी से रविन्द्र जायसवाल ने जीत कर भाजपा का परचम लहराया।
वाराणसी से रविंद्र नाथ सिंह की रिपोर्ट

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