केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक़ को दंडनीय अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी जिस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने भी अपनी मोहर लगा दी है.
तीन तलाक़ अब एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है और ऐसा करने वाले को तीन साल की कैद की सज़ा हो सकती है. गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तीन तलाक के मामले सामने आ रहे थे, इसलिए अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ी. केंद्र सरकार को छह माह में इस अध्यादेश को विधेयक की शक्ल में संसद में पारित कराना होगा.
यह अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा
पहला संशोधन
पहले का प्रावधान
इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी.
संशोधन
अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा
दूसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी.
संशोधन
मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा
तीसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था.
संशोधन
मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा