संसद मे विफल होने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक पर अध्यादेश का रास्ता अपनाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक (इंस्टैंट ट्रिपल तलाक) पर अध्यादेश जारी करते हुये इसे मंजूरी दे दी है. ये फैसला बुधवार को राजधानी दिल्ली मे होने वाली कैबिनेट की बैठक में लिया गया है.
आपको बता दें कि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में हंगामे और राजनीतिक सहमति न बन पाने के कारण तीन तलाक पर संशोधन बिल पास नहीं हो सका था.
PM मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है. तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं.
यह अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा और इस दौरान सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा. सरकार के पास अब बिल को शीत सत्र तक का वक्त है.
पहला संशोधन
पहले का प्रावधान
इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी.
संशोधन
अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा
दूसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी.
संशोधन
मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा
तीसरा संशोधन
पहले का प्रावधान
पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था.
संशोधन
मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा