‘खुदी को कर बुलंद इतना की हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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शकील रिज़वी
लखनऊ।
‘खुदी को कर बुलंद इतना की हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
शायरे इंकलाब अल्लामा इकबाल के इस शेर को चरित्रार्थ किया है यूपीएससी में 87वीं रैंक हासिल करने वाली हसीन ज़हरा रिज़वी ने। हसीन ज़हरा पूर्व में भी यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर आईपीएस और आईआरटीस के लिए चयनित हो चुकी हैं, लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और था, या यूं कहें कि जिद थी कि कुछ बनना है तो आईएएस और इससे कम कुछ नहीं। हसीन ज़हरा के जज़्बे को देखते हुए किसी शायर का शेर आता है, ‘कामयाबी का जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या हैसियत। हसीन ज़हरा के कामयाबी के जुनून ने मुश्किल के हर रास्ते को आसान करते हुए आखिरकार उन्हें उनकी मंजि़ल आईएएस की कुर्सी तक पहुंचा ही दिया। उनकी इस कामयाबी पर उनके परिवार के साथ ही उनके पैतृक गांव अम्बेडकर नगर के मछलीगांव में भी खुशी का माहौल है।
सिटी मांटेसरी स्कूल की छात्रा उनकी छोटी बहन सानिया ज़हरा की खुशी उस वक्त कई गुना बढ़ जाती है, जब उनके दोस्त उनकी बहन के बारे में पूछते हैं। सानिया ने बताया कि उनका मिशन भी बड़ी बहन की तरह आईएएस बनकर देश और देश के नागरिकों की सेवा करना है। हसीन ज़हरा की मां आंखों के कोर पर आंसूओं की शक्ल में आई अपनी खुशी रोक नहीं पाती और कहती हैं कि मेरी तीन बेटियां हैं, लेकिन इन बेटियों ने मुझे कभी बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी। हमारा ख्वाब तो इन्हीं बेटियों ने पूरा किया है। हसीन ज़हरा के पिता औद्योगिक विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद से सेवानिृत्त हैं और मां शहला रिजवी गृहणी। दोनों की हौंसला अफज़ाई से बेटियां कामयाबी का परचम लहराते हुए मां-पिता का नाम रौशन कर रही हैं। हसीन ज़हरा की बड़ी बहन कमर ज़हरा रिज़वी मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी में सीनियर कंसलटेंट के पद पर दिल्ली में तैनात हैं।
यूपीएससी परीक्षा परिणाम आने के बाद अवधनामा ने उनसे और उनके परिवार से विशेष बातचीत की। इस दौरान यह भी इत्तेफाक रहा कि हसीन ज़हरा का पूरा परिवार एक साथ घर पर मौजूद था और खुशियों का जश्न मना रहा था। हसीन ज़हरा से जब पूछा गया की आप मुस्लिम लड़की हैं ऐसे में इतनी बड़ी कामयाबी कैसे मिली तो उन्होने कहा की इस कामयाबी के पीछे मेरे परिवार का पूरा सपोर्ट है। बगैर इनके हौसले के यह कामयाबी मुमकिन नहीं थी। हसीन ने कहा कि हर लड़की को चाहिए की वह पूरे हौसले के साथ कामयाबी की तैयारी करे और परिवार को चाहिए कि वह उस पर भरोसा करे जैसा कि मेरे साथ हुआ। हसीन ज़हरा का मानना है कि आज के दौर में सेल्फ डिपेंडेंट (आत्मनिर्भर) बनना बहुत ज़रूरी है। आज जहां एक तरफ लड़कियां अपने वजूद की जंग लड़ रही हैं वहीं वह अपने जूनून, हौसले और परिवार के विश्वास से कामयाबी हासिल कर सकती हैं। उनका मानना है की अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को उच्च शिक्षा के मिशन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उनके पिता हसन रज़ा कहते हैं कि बेटे और बेटियों के बीच का $फर्क खत्म होना चाहिए। बेटियां किसी भी मायने के कम नहीं होती। आज बेटियां हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही हैं। उन्होने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय में ज़रूरी है यह फ़कऱ् खत्म हो। मेरी बेटियों ने मुझे हमेशा खुशियां ही दी, बड़ी बेटी अच्छी ओहदे पर है, हसीन ज़हरा कामयाबी की सीढ़ी चढ़ती ही जा रही थी। लेकिन उनका लक्ष्य तो आईएएस बनना था जो आज पूरा हुआ।
हसीन ज़हरा की माँ शहला रिज़वी को एक साधारण सी गृहणी नजऱ आती हैं लेकिन बेटियों की हौसला अफज़़ाई में वह बेमिसाल साबित हुई। वह हसीन ज़हरा की कामयाबी पर कहती है जब बेटियों में हौसले होते हैं तो  कामयाबी की राह में कोई रुकावट नहीं आ सकती ज़रूरी है परिवार वाले उनपर विश्वास करें और मौके मौके पर उनकी हौसला अफज़़ाई करें।
बड़ी बहन कमर जहाँ कहती हैं वह जानती थी उनकी बहन का जूनून है आई ए एस बनन और वह पूरा होगा ज़रूरी है तो सब्र के साथ मिशन पर जद्दोजहद जारी रखने की।
सबसे छोटी बहन सानिया ज़ेहरा भी कहती हैं कि हसीन ज़हरा की तरह ही वह आई ए एस बनना चाहती हैं उनहोंने बताया की जब स्कूल में उनके साथी हसीन ज़हरा के बारे में पूछते हैं या बात करते हैं तब बहुत ख़ुशी होती है सानिया बताते हैं उनको अपनी बहन पर फख्र मह्सूस होता है।
जिस तरह हसीन ज़हरा ने परचम लहराया उसको देख कर लगता है असरारुल हक मजाज़ ने मुस्लिम ख्वातीन के इं$िकलाबी रुख को पहले ही भांप लिया था तब ही तो उन्होने कहा था ‘तरे माथे पे ये आँचल बहुत ही $खूब है लेकिन,
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा थाÓ।
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