क्राइम विशेषज्ञों की राय, सीबीआई कई सवालों पर कर सकती है जांच
शिमला— अब क्योंकि राज्य सरकार ने कोटखाई रेप व मर्डर मिस्ट्री की जांच सीबीआई को सौंप दी है, लिहाजा देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के सामने क्राइम विशेषज्ञों के मुताबिक जो सवाल हो सकते हैं, उनमें गैंगरेप के बाद लड़की के जिस्म पर कोई बड़े निशान क्यों नहीं पाए गए। पुलिस जांच के मुताबिक जब गैंगरेप जंगल में ही हुआ तो उसका शरीर मिट्टी से सना होना चाहिए था। बरसात के दिनों में लड़की के शरीर पर कहीं भी मिट्टी पुती हुई नहीं मिली, जो रिपोर्ट आईजीएमसी के चिकित्सकों ने दी है, उसमें छात्रा की मौत गला घोंटने से बताई गई है। छटपटाहट में उसके शरीर पर गंभीर चोटें भी उभर सकती थीं, मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मात्र खरोंचे ही मिलीं। यहां तक कि कहीं भी हड्डी टूटने का जिक्र रिपोर्ट में नहीं है। लाश दो रोज तक चार से छह जुलाई तक यदि जंगल में पड़ी रही तो वह चील, कौओं की नजर से कैसे बच गई। वह इतना घना जंगल भी नहीं था कि वहां से राहगीर व वाहन न गुजरते हों। लाश के पास कपड़े सुरक्षित कैसे रखे गए थे। क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि गैंगरेप के दौरान पूरे कपड़े फटे भी हो सकते हैं। क्योंकि छीना-झपटी में कपड़ों का सुरक्षित होना व एक जगह बंडल बनाकर रखना खुद में कई सवाल खड़े करता है। उसके शरीर पर गहरे घाव व नील के निशान न होकर, घसीटते हुए खरोंचों के ही निशान क्यों रहे। अंदेशा यह भी है कि कहीं गैंगरेप का यह मामला किसी के घर में तो नहीं हुआ, जिसे कवरअप करने के लिए नेपालियों के घर के आसपास थोड़ी ही दूर पर फेंक दिया गया। उनका कहना है कि सीबीआई के लिए चालक राजू इस मामले में बड़ी कड़ी हो सकता है, जो पूरे मामले को बेनकाब करने में जांच एजेंसी के लिए सहायक बन सकता है। यही नहीं, जिस आरोपी का पुलिस ने सबसे पहले पांच दिन तक रिमांड लिया, यानी आशीष चौहान का मोबाइल रिकार्ड भी इस मामले में खासी अहमियत रखता है। 15 वर्षीय छात्रा की ड्राइवर राजू से हटकर किन-किन लोगों से जान-पहचान थी, जिनसे वह बातचीत करती थी, उनकी पृष्ठभूमि क्या थी, यह भी जांच के दायरे में आ सकता है। इतना बड़ा मामला हो गया और दो रोज तक नेपाली व गढ़वाली चारों सरलता से ड्राइवर राजू के साथ क्षेत्र में ही बेखौफ घूमते रहे। क्या उन्हें अपराध बोध नहीं हुआ, जिसके चलते वे भागने का प्रयास करते। इस पूरे मामले में उस बागीचा मालिक से पूछताछ कर पता लगाया जा सकता है कि आरोपियों की पृष्ठभूमि कैसी है। बहरहाल अब उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी तत्परता से पहाड़ पर लगे उस कलंक को धोने में जल्द सफल होगी, जिसे लेकर जनाक्रोश भड़क रहा है।
कुछ ऐसे सवाल जो कर रहे परेशान
* महज गला घोंटने की ही रिपोर्ट
* क्या बिटिया रेप के दौरान बचाव में छटपटाई नहीं होगी
* उसके शरीर पर नील या चोट के निशान क्यों नहीं
* दो दिन लाश पड़ी रही, चील-कौवों ने नोंची क्यों नहीं
* कपड़े लपेट कर लाश के साथ सुरक्षित किसने रखे
* कहीं बलात्कार किसी के घर में तो नहीं हुआ
* चालक राजू कोटखाई प्रकरण में बड़ी कड़ी
* आशीष चौहान का मोबाइल रिकार्ड भी खोल सकता है राज
* बागीचा मालिक से पता लगेगी आरोपियों की पृष्ठभूमि
पीडि़त परिजनों की सुनो
छात्रा के परिजन व गांववासी गुस्से में क्यों हैं। उनका क्रोध किस और इशारा कर रहा है, यह भी जांच का विषय बन सकता है।
आरोपियों का ट्रैक रिकार्ड
पुलिस ने जिन छह लोगों को पकड़ा है, उनका पिछला रिकार्ड कैसा था। क्या कभी ऐसी वारदात को उन्होंने अंजाम दिया था, इस बारे में भी अलग से जांच हो सकती है।
ड्रग्ज, रेप और मर्डर
कोटखाई प्रकरण में ड्रग्स, रेप व मर्डर एक ऐसी मिस्ट्री है, जिस पर जांच से पर्दा उठ सकता है।
इन मामलों में भागते रहे हैं नेपाली व अन्य आरोपी
शिमला में सबसे पहले मशहूर वकील छबीलदास हत्याकांड हुआ। इसे घर में ही नौकरी कर रहे नेपालियों ने अंजाम दिया। प्रत्यार्पण संधि न होने के कारण नेपाली आज तक नहीं धरे जा सके। वे वारदात के बाद ही भाग गए थे। यह मामला मिडल बाजार का है।
शिमला में ही ऑक्सलैंड दोहरा हत्याकांड सुर्खियों में रहा। इसे अंजाम देने के बाद आंध्र प्रदेश का हत्यारा श्यामल राव रेड्डी फरार होने में सफल रहा।
मशहूर हर्ष बालजीज मर्डर केस अब तक मिस्ट्री ही बना हुआ है