वकार रिजवी
एन.आर.सी., एन.आर.पी, सी.ए.ए. से सिर्फ़ मुसलमानों का क्या लेना देना, यह तो पूरे भारत के लिये है और सभी भारतीय के लिये है, इसका नफ़ा नुकसान सभी को होना है बस किसी को कम किसी को ज़्यादा, इससे देश में ख़ुशहाली आयेगी, रोज़गार आयेगा, आर्थिक स्थिति में विकास होगा, आतंकवाद ख़त्म होगा, अगर संक्षेप में कहें तो रामराज्य आयेगा और रामराज्य किसे नहीं चाहिये, हिन्दु मुसलमान सब बरसों से रामराज्य का ही तो इतेंज़ार कर रहे हैं, लेकिन यह बात सरकार आम नागरिकों को नहीं बता पा रही है जबकि उसके पास इसे बताने इसे समझाने के सभी साधन हैं, पुलिस है, पूरा सूचना मंत्रालय है, सभी चैनल हैं, पूरा प्रिन्ट मीडिया है, दूरदर्शन और आकाशवाणी तो सरकार के अपने ही हैं, पूरा फ़िल्म उद्योग है जो फ़ौरन इसपर एक पूरी फ़िल्म बनाकर रिलीज़ कर सकता है कि जब यह लागू होगा तो कौन से काग़ज़ पेश करने होंगें, वह काग़ज़ कैसे बनेंगें, कहां से बनेगें, कौन बनायेगा और जो मांगे गये काग़ज़ नहीं दे पायेगा उसके साथ फिर सरकार क्या करेगी।
दूसरी तरफ़ विपक्ष है जिसके पास इसमें से कोई एक चीज़ भी नहीं, वह हाशिये पर है, अभी 6 माह पूर्व संसदीय चुनाव में धूल चाट चुका है, न कोई कैडर है न कार्यकर्ता, न फ़ालोओवर, हर कोई पप्पू का मज़ाक उड़ा रहा है लेकिन वह है जो पूरे देश को गुमराह किये दे रहा है ? और वहां सबसे ज़्यादा गुमराह कर रहा है जहां केन्द्र और प्रदेश सरकार एक ही हैं और गुमराह करने के लिये ऐसी ऐसी बाते कर रहा है जिससे लोगों को गुमराह होना आवश्यक हो रहा है, वह सवाल कर रहा है कि अगर बंगलादेश, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान से हिन्दु, सिख, इसाई, पारसी, जैन आदि जो वहां पर अल्पसंख्यक हैं को ही धार्मिक आधार पर भारत में नागरिकता दी जानी है, अगर मंशा सिर्फ़ यह ही है तो इन 6 लोगों के नाम लेने के बजाये क्या सिर्फ़ इतना काफ़ी नहीं था कि कह दिया जाता कि इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों का धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता दी जायेगी, इसमें किसी धर्म का नाम लेने की ज़रूरत क्या थी मुसलमानों का पत्ता तो तब भी साफ़ हो जाता फिर न बाबा साहब के संविधान की दुहाई होती, न मुसलमानों को उनका नाम लेकर डराया जाता, लेकिन मंशा तो केवल हिन्दुओं को लुभाना है और कुछ नहीं, कभी विपक्ष कह रहा है कि अगर हमने इन तीन देशों से वहां के अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न के आधार पर अपने देश की नागरिकता दी और काग़ज़ न होने के आधार पर यहां के अल्पसंख्यकों को बाहर निकाला तो तमाम अरब देशों में जो यहां के हिन्दु हज़ारों डालर कमा कर देश की एकोनामी को मज़बूत कर रहे हैं उन्हें वापस आना पड़ेगा और वह तो बेरोज़गार होंगें ही देश में विदेशी मुद्रा भी नहीं आयेगी ऐसी स्थिति में भारत की आर्थिक दशा और ख़राब होगी। वे इसका भी दुष्प्रचार कर रहे हैं कि अपने काग़ज़ बनवाने के लिये सभी 137 करोड़ भारतीयों को लाइनों में लगना होगा, आपना काम काज छोड़ना होगा और इसमें हज़ारों करोड़ जो रूपये ख़र्च होंगें वह कहां से आयेंगें कौन देगा ?
लेकिन सरकार ने अब घर घर जाने की जो योजना बनायी उसका हम सब को स्वागत करना चाहिये क्योंकि अब दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा सारी ग़लतफ़हमियां दूर हो जायेंगी सारी गुमराही ख़त्म हो जायेगी, विपक्ष का अराजकता फैलना का सपना चकनाचूर हो जायेगा अगर सरकार यह समझाने में कामयाब हो गयी कि 137 करोड़ भारतीय अपनी नागरिकता कैसे सिद्ध करेंगें और जो भी सिद्ध नहीं कर पाया उसके साथ सरकार क्या करेगी।
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