किसी आम वायरल बीमारी की तरह ही हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण

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नई दिल्ली: आठ साल पहले 2009 में महामारी की तरह फैलने वाले स्वाइन फ्लू ने इस साल एक बार फिर दस्तक दे दी है. अब तक देश में करीब 12,500 स्वाइन फ्लू के मामले दर्ज किए गए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 600 लोगों की स्वइन फ्लू के कारण मौत हो चुकी है.  सबसे ज्यादा खराब स्थिति महाराष्ट्र की है. यहां 284, गुजरात में 75, केरल में 63 और राजस्थान में 59 जिंदगियां इस रोग ने लील लीं. 

दिल्ली में अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 9 जुलाई तक 241 लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण देखे गए जबकि 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है. डॉक्टरों ने बताया कि मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है. 

स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक जगदीश प्रसाद ने बताया कि लोग अस्पताल पहुंचने में देरी कर रहे हैं. यही वजह है कि ज्यादा मौतें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए दी जाने वाली दवा टैमीफ्लू को लक्षण दिखने पर जितनी जल्दी रोगी को दे दिया जाए तो उतनी जल्दी और ज्यादा से ज्यादा जानें बचाई जा सकती है. 

डॉक्टरों के मुताबिक इस रोग के लिए एच1एन1 वायरस जिम्मेदार होता है. शुरुआती तौर पर यह सुअरों के द्वारा फैलता है लेकिन बाद में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल जाता है. 

प्रसाद ने बताया कि सरकार ने महाराष्ट्र में इंन्फ्लुएंजा की जांच के लिए केंद्रीय रैपिड रिस्पांस टीम तैनात की है.  उन्होंने कहा कि ओसेल्टेमिविर (स्वाइन फ्लू की दवा) अब लाइसेंस प्राप्त दवाखानों में आसानी से उपलब्ध है. इससे पहले इसे X शेड्यूल के अंतर्गत रखा गया था जिसमें इस दवा को कुछ चुनिंदा फार्मासिस्ट्स को ही बेचने का अधिकार था. 

मौसम में इतनी जल्दी स्वाइन फ्लू के मामलों को देखते हुए डॉक्टर चिंता में हैं. वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन अरुप बासु का कहना है कि आमतौर पर स्वाइन फ्लू के मामले सर्दियों में या मानसून के बाद देखने को मिलते हैं, लेकिन उच्च तापमान के बावजूद जून से ही इसके मामले देखने को मिल रहे हैं. 

किसी आम वायरल बीमारी की तरह ही हैं लक्षण
स्वाइन फ्लू विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक संक्रामक श्वसन रोग है जो टाइप ए वायरस के कारण होता है. ये वायरस सांस लेते समय और मुंह के जरिए शरीर में पहुंचता है. डॉक्टरों ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण भी किसी आम वायरल बीमारी की तरह ही हैं. इसमें तेज बुखार और गले में खराश होने लगती है. कुछ मामलों में रोगी को जी मचलाना, उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं.

 

स्वाइन फ्लू से ऐसे बचें 
डॉक्टरों का कहना है कि स्वाइन फ्लू से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखना बेहद जरूरी है. व्यक्ति को समय समय पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना चाहिए. अगर लंबे समय तक बुखार रहे या सांस लेने में कठिनाई हो तो इसमें लापरवाही न करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. 


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