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BRIJENDRA BAHADUR MAURYA —————-
हिन्दु मुस्लिम एकता का प्रतीक बना बाबा सोनकर का दरबार
कलकत्ता की काली, अजमेर के ख्वाजा, काल भैरव के साथ होते है जिन्नों और प्रेतों के दर्शन
ऐसा दरबार जहॉ शैतानी ताकते देती है आपसी सौहार्द की मिसाले
अमर सिंह और आईएएस भावना सिंह भी टेकते है माथा
लखनऊ । कहते है दुनिया में भगवान और शैतान की लड़ाई हमेशा चलती रहती है, बुरी ताकते सदैव नेक ताकतों को हराने का हर सम्भव प्रयास करती रहती है। बुरी ताकतों से परेशान लोग कभी भगवान के दर जाते है तो कभी पीर पैगम्बर का दामन थामते है, यूपी की राजधानी लखनऊ भी इससें अछूती नहीं है। यहॉ मनकामेश्वर मंदिर, हनुमान सेतु, अलीगंज के हनुमान मन्दिरों से लेकर खम्मन पीर और दादा मियॉ की मजार पर हिन्दु मुसलमान बराबर से प्रार्थना करने जाते है। पर इन मिथकों को तोड़ता एक ऐसा दरबार है जहॉ कलकत्ता की काली, अजमेर के ख्वाजा, काल भैरव के साथ हजारों जिन्नों और प्रेतों के दर्शन एक साथ मिल जाते है। इस दरबार में एक साथ मजार और मन्दिर दोनों है जिन्होनें भक्तों की मनचाही मुरादे पूरी की है। इस दरबार में एक तरफ हरे रंग से रंगी मजार पर जिन्नात बोलतें है और दूसरी तरफ मॉ काली के साथ भैरव और प्रेत जवाब देते है। मुसलमान यहॉ जितनी अकीदत से दुआ मांगते है वहीं हिन्दु प्रार्थना कर माथा टेकते है। आज के वैज्ञानिक युग में ऐसे स्थान और जाने वाले भक्तों के अनुभव जान कर न केवल हैरानी होती है बल्की आश्चर्य भी होता है।
राजधानी की गंगा जमुनी तहजीब का पर्याय बन चुके एलडीए कालोनी, कानपुर रोड़ स्थित बाबा सोनकर के दरबार में गुरुवार देर रात तक ईद मिलन का आयोजन चला जिसमें सैकड़ो हिन्दु मुसलमान भक्तों ने बराबर से हिस्सा लिया। हिन्दुओं के लिए जहॉ पूड़ी सब्जी का प्रसाद बंटा वहीं मुस्लिम समाज के लिए बिरयानी वितरित की गयी। सोनकर बाबा के दरबार में आए अशफाक अहमद दम्पति ने बताया कि वह हर जगह से निराश हो चुके थे पर बाबा के दरबार में आते ही उन्हे रुहानी ताकत का अहसास हुआ और अचानक समस्याओं का अन्त होने लगा। दीपू धानुक ने बताया कि बाबा के दरबार में आते ही पुत्र की प्राप्ती हुई और जीवन सुखमय बन गया। भक्तों ने जब अपने अनुभव शेयर करने शुरू किए तो लोगों का तांता लग गया, किसी को मुकदमे से मुक्ति मिली तो किसी का ऊपरी साया समाप्त हो गया, किसी को नौकरी मिली तो किसी को प्रमोशन इस दरबार से मिला। सोनकर बाबा के दरबार से फालिस, किडनी फेल, पागलपन जैसे रोग ठीक हो गए और कानूनी मामले हल होने के साथ ऊपरी ताकतों का भी विनाश हो रहा है। बिना बच्चेदानी वाली महिलाओं को संतान प्राप्ती हुई है और कई मामलों में सालों बाद लोगों को संतान मिली है।
भक्तों से मिलने और दरबार का नजारा देखने के बाद संवाददाता ने रुख किया सोनकर बाबा की ओर। संजय सोनकर उर्फ अब्दुला भाई के नाम से मशहूर बाबा ने जीवन की परते उधेडते हुए बताया कि बचपन में माता जी मॉ काली और अजमेर के ख्वाजा की पूजा करती थी तभी से पूजा अर्चना का रुझान बढ़ गया। ग्यारह साल की उम्र में भाई की पिटाई से त्रस्त हो कर कलकत्ता चले गए और वहॉ होटलों में बरतन धो कर मॉ काली की आराधना करते रहे। लगभग दस वर्षो बाद संजय राजधानी वापस आए और अमीनाबाद में काम करने लगे। संजय सोनकर बतातें है कि काम कुछ भी किया पर पूजा पाठ कभी नहीं छूटा। सन् 1992-93 में ऊपरवालें ने इच्छा पूरी की और एलडीए कालोनी, कानपुर रोड़ पर पराग डेरी में रतन समोसे वाली गली में मकान आवंटित हो गया जहॉ आज ये दरबार सजा है। मजार और मन्दिर एक ही जगह होने की बात का जवाब देते हुए कहा कि यहॉ कलकत्ता की मॉ काली, मीरा सय्यैद हुसैन, भैरव के साथ मरघट के 200 औघड़, 2.84 लाख जिन्नात रहते है और पीर बाबा कहते है पहले देवी को सलाम करों और देवी कहती है पहले पीर बाबा की पूजा करों। नमाज़ अदा करने के साथ आरती करने वाले सोनकर बाबा किसी अजूबे से कम नहीं जान पड़ते है जब हिन्दु उन्हे सोनकर बाबा कह कर चरण स्पर्श करते है और मुसलमान अब्दुला भाई कह कर सलाम करते है। बाबा के दरबार में सेवा नि:शुल्क है और जिसकी जो मर्जी होती है वह चढ़ावा चढ़ाता है। दरबार की एक ओर खासियत ये है कि यहॉ आने वाले भक्तजन स्वयं मजहबी भेदभाव भुला कर सबका मालिक एक होने की बाते करने लगते है।
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