पिछले 5 साल में विकास की ऐसी गंगा बही कि जो 2014 में अपने को ग्रेजुएट लिख रहे थे अब वह 2019 में अपने को इण्टर लिखने लगे। जीं हां, कोई और नहीं मोदी सरकार की कैबिनेट में बिना चुनाव जीते केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रहीं स्मृति इरानी, जिन्होंने 2014 के नामंकन में अपने को ग्रेजुएट बताया था और अब उन्हीं ने 2019 में जब पुन: अपना नामंकन भरा तो वह ग्रेजुएट से इण्टर हो गयीं ज्ञात रहे कि मोदी जी जिस कड़े फ़ैसले के लिये जाने जाते हैं उसी 56 इंच के सीने को दर्शाते हुये पहले ही दिन इतना कड़ा फ़ैसला लिया कि उनके अपनों ने भी दातों तले उंगली दबा ली जब मानव संसाधान जैसे मंत्रालय जिसके अन्र्तगत पूरा शिक्षातंत्र आता है, देश की सभी प्रमुख विश्वविद्यालय आते हैं उनका मुखिया इण्टर पास श्रीमती स्मृति इरानी को बना दिया जबकि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में यहीं मंत्रालय प्रोफ़ेसर मुरली मनोहर जोशी जैसे शिक्षाविद के पास था वह इसबार भी लोकसभा के सदस्य थे लेकिन बूढ़े हो गये थे इसलिये उनको इस योग्य नहीं समझा गया आगे भी अगर यही परम्परा रही तो समय का चक्र तो घूमता ही रहता है एक दिन मोदी जी बूढ़े हो जायेगें और उन्हें योगी जी आराम करने के लिये कहीं इसी तरह किनारे बैठा देंगें।अब विकास कहां हुआ इसे मोदी जी भी ख़ूब जानते हैं इसीलिये मोदी जी पहला वोट विकास पर नहीं बल्कि पुलवामा के उन शहीदों के नाम पर डालने को कह रहे हैं जिनके शहीद होने में मोदी जी का अपना कोई योगदान नहीं? उन्हीं का दावा है कि यह काम पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने किया दूसरे मोदी जी नें यह भी कहा कि जो पहली बार वोट डाल रहे हैं वह बालाकोट के नाम पर अपना पहला वोट डालें इसमें भी सरकार और पार्टी का कोई योगदान नहीं यह काम हमारी सेना ने किया। यह वोट डालने की अपील ही यह बताती है कि अंधेभक्त व्हाटसअप यूनीवर्सिटी में मोदी जी का जो चाहे विकास दिखायें स्वंय मोदी जी अपने किसी विकास को नहीं जानते सिवाये इसके कि इस सरकार की लगभग 3 साल तक रहीं शिक्षा मंत्री रही श्रीमती स्मृति इरानी 5 साल में ग्रजुएट से इण्टर हो गयीं।
ऐसा हुआ विकास, ग्रेजुएट से हुयीं इण्टरपास
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