-मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट आॅफ ह्यूमैनिटीज़, साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी महमूदाबाद में वार्षिक समारोह का हुआ आयोजन
मुमताज़ अली
महमूदाबाद (सीतापुर)। मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट आॅफ ह्यूमैनिटीज़, साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी, महमूदाबाद में वार्षिक समारोह का आयोजन रविवार को किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के राज्पाल उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च शिक्षा के सचिव जितेन्द्र कुमार ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रो. जे.वी. वैशम्पायन, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह, उर्दू अंजुमन जर्मनी के अध्यक्ष प्रो. आरिफ़ नक़वी एवं विधान परिषद् के सदस्य ऐडवोकेट मधुकर जेटली उपस्थित थे।
हिन्दुस्तान के पहले शिक्षामंत्री, प्रथम पंक्ति के स्वतन्त्रता सेनानी, पत्रकार और धर्मगुरू मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के नाम से प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री अम्मार रिज़वी ने सन् 2004 में अपने निजि स्रोतों से इस संस्थान को स्थापित किया है। यह काॅलेज कानपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस काॅलेज में बी.एड., एमत्र.एड., बी.ए., बी.काॅम., एम.ए. और एम.काॅम. आदि की शिक्षा दी जा रही है। इस संस्थान ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने में विशेष योगदान दिया है। फरवरी 2015 में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस संस्थान को मौलाना आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी, परंतु अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। इस अवसर पर प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डाॅ. अम्मार रिज़वी ने प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से मांग की कि विश्वविद्यालय के स्थापना सम्बंधी मानकों को शिथिल किया जाये और नगरीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता 10 एकड़ व ग्रामीण क्षेत्र में भूमि की उपलब्धता चालीस एकड़ निर्धारित की जाये। अम्मार रिज़वी ने आश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की नई सरकार शीघ्र ही इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देगी।
कार्यक्रम की शुरूआत में सर्वप्रथम राष्ट्रगान हुआ। जिसे काॅलेज स्टाफ और छात्राओं ने प्रस्तुत किया। इसके बाद इन्ही लोगों ने काॅलेज का तराना ‘ये सर-ज़मीन-ए-वतन…’ प्रस्तुत किया। इसके बाद मुख्य अतिथि राज्पाल राम नाईक, उच्च शिक्षा के सचिव जितेन्द्र कुमार, विशिष्ट अतिथि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रो. जे.वी. वैशम्पायन, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह, उर्दू अंजुमन जर्मनी के अध्यक्ष प्रो. आरिफ़ नक़वी एवं विधान परिषद् के सदस्य ऐडवोकेट मधुकर जेटली, डाॅ. अम्मार रिज़वी और ज़किया रिज़वी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की अधिकारिक शुरूआत की। पूरे कार्यक्रम का संचालन लखनऊ विश्वविद्याालय के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मुझे पहले ही इस काॅलेज में आना था परंतु चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण मै यहां पर नहीं आ सका। उन्होने कहा कि हालांकि आचार संहिता में आने से काई दोष नहीं था किन्तु चुनाव का मामला संवेदनशील होता है इसलिए उस समय मुझे आना उचित नहीं लगा। अब यहां आकर मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है। राज्पाल यहां पर हेलीकाप्टर से आये थे। राज्यपाल ने कहा कि काॅलेज प्रांगण में जिस प्रकार मौलाना आज़ाद की मूर्ति लगी है उसी प्रकार इस संस्थान की कीर्ति भी बढ़ रही है। उन्होने कहा कि डाॅ. अम्मार रिजवी ने उनके समक्ष इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग रही है। किसी भी संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देना राज्य सरकार के हाथ में होता है। फिर भी अपने संवैधानिक पद पर रहते हुए इसे विश्वविद्यालय का दर्जा देने के लिए जो कुछ मुझसे बन पड़ेगा मै करूंगा। मौलाना आजाद, जिनके नाम पर काॅलेज है, का बखान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वो देश के पहले शिक्षामंत्री थे और लगातार 11 वर्षों तक इस पद को सुशोभित किया। देश में प्रोद्योगिकी शिक्षा को बढ़ावा देने का श्रेय मौलाना आजाद को ही जाता है। देश में प्रबंध संस्थानों, प्रोद्योगिकी संस्थानों और अन्य शीर्ष संस्थानों की नींव मौलाना आजाद ने ही रखी थी।
काॅलेज के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आप लोग देश का भविष्य है। जब आप शिक्षित होगे तभी समाज भी शिक्षित होगा और हमारा देश तरक्की करेगा। उनहोने कहा कि मुझे जानकारी है कि इस काॅलेज में 4600 छात्र-छात्राएं है। मै आपको एक सीख देना चाहता हूँ, जो मेरे शिक्षक ने बी.काॅम. की पढ़ाई करते समय मुझे दी थी। उन्होने कहा कि पहले तो आप मुस्कुराते रहिए और हर कठिनाई का सामना हंसते हुए करिये। कभी भी उदास मत हो। दूसरा यह कि आप अपने प्रतिद्वन्दी द्वारा किये गये अच्छे कार्य की तारीफ करें, न कि उससे जलन रखते हुए क्लेश करें। तीसरा ये कि किसी की अवमानना न करें और चैथा बात यह है कि हमेशा अच्छा करने के बाद और अधिक अच्छा करने की सोचें।
छात्र-छात्राओं से राज्यपाल ने कहा कि आपको गर्व होना चाहिए कि आप इतने अच्छे संस्थान से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और इतनी अच्छी कुर्सियों पर बैठे हैं। मैने पुणे के जिस गांव के स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी, वहां तो बैठने के लिए ढंग की टाट-पट्टी भी नहीं थी। आप सभी लोग मन लगाकर शिक्षा ग्रहण करें और अपने माता-पिता के साथ अपने शिक्षकों का नाम भी रौशन करें।
इसके पहले प्रदेश के पर्वू कार्यवाहक मुख्यमंत्री और काॅलेज समिति के सचिव अम्मार रिज़वी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में उन्होने महमूदाबाद का बखान करते हुए कहा कि यह महिर्षि व्यास और दधीचि की धरती है। यहां पर मखदूम शाह की मज़ार है। यही पर रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास ने मानस की एक अध्याय की रचना की थी। वो इसी रास्ते से नैमिष दर्शन-पूजन के लिए जाते थे। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की महान सेनानी बेग़म हज़रत महल लखनऊ में अंग्रेज़ों से मोर्चा लेने के बाद इसी रास्ते से गुज़री थी। यह धरती हमें गंगा-जमुनी तहज़ीब की सीख़ देती है।
डाॅ. अम्मार रिज़वी ने अपने स्वागत भाषण में प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से विश्वविद्यालय के स्थापना सम्बंधी मानकों को शिथिल किया जाये की माग की। उनहोने कहा कि नगरीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता 10 एकड़ व ग्रामीण क्षेत्र में भूमि की उपलब्धता चालीस एकड़ निर्धारित की जाये। अम्मार रिज़वी ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की नई सरकार शीघ्र ही इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देगी।
इसके बाद जर्मनी से आये प्रो. आरिफ़ नक़वी ने ‘उर्दू अंजुमन बर्लिन’ और बर्लिन विश्विद्यालय की ओर से डाॅ. अम्मार रिज़वी को वार्षिक आयोजन की बधाई दी। प्रो. आरिफ़ नक़वी ने राज्यपाल रामनाईक की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की। डाॅ. अम्मार रिज़वी द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुबारकबाद पेश करते हुए उन्होने कहा कि यह बहुत बड़ा काम है। समाज के शिक्षित होने से ही अच्छे नागरिकों और मज़बूत राष्ट्र का निर्माण होता है।
विधान परिषद् सदस्य अधिवक्ता मधुकर जेटली ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस संस्थान से प्रदेश की राजधानी से लगे हुए ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा का अद्वितीय लाभ मिल रहा है। डाॅ. अम्मार रिज़वी ने इन ग्रामीणों को शिक्षा रूपी ऐसा हथियार दिया है जिससे कोई भी जंग जीती जा सकती है। काॅलेज के स्टूडेन्ट्स को सीख देते हुए उन्होने कहा कि वह अधिक अंक प्रतिशत की ओर न भागे, बल्कि ज्ञान अर्जित करें। जब आपके पास भरपूर ज्ञान होगा तो सफलता थक-हार कर आपके पीछे आयेगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए उसका वार्षिक समारोह खास होता है। आप जब इस संस्थान से अपनी पढ़ाई पूरी करके उचे पदों पर स्थापित होंगे तो हो सकता है कि आने वाले वार्षिक समारोहों में आप का बखान किया जाये। प्रो. एस.पी. सिंह ने राज्यपाल की किताब चरैवेति! चरैवेति! की विशेषताओं का भी बखान किया और विद्यार्थियों से पुस्तक को पढ़कर इसका अनुकरण करने को कहा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति प्रो. जे.वी. वैशम्पायन भी उपस्थित थे। उन्होने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
प्रमुख सचिव शिक्षा जितेन्द्र कुमार ने वार्षिक आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि इस संस्थान के विश्वविद्यालय बनने में जो अड़चने आ रही, उसे वह सरकार के सामने रखेंगे और इसे विश्वविद्यालय के रूप में शासन की ओर से मान्यता दिलवाने में पूरी मदद करेंगे। जितेन्द्र कुमार ने भी राज्यपाल की पुस्तक चरैवेति! चरैवेति! की दिल खोलकर तारीफ़ की।
कार्यक्रम के अंत में डाॅ. अम्मार रिज़वी की पोती ज़ैनब ने वार्षिक आयोजन में आये सभी अतिथियों का काॅलेज संचालन समिति और संस्थान की ओर से दिल की गहराइयों से धन्यवाद ज्ञापित किया।
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डाॅ. अम्मार ने राज्यपाल से की संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग
प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री अम्मार रिज़वी ने प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट आॅफ ह्यूमैनिटीज़, साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी संसथान को विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की। उन्होने कहा कि सन् 2004 में अपने निजि स्रोतों से उन्होने इस संस्थान को स्थापित किया था। यह काॅलेज कानपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस काॅलेज में बी.एड., एमत्र.एड., बी.ए., बी.काॅम., एम.ए. और एम.काॅम. आदि की शिक्षा दी जा रही है। इस संस्थान ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने में विशेष योगदान दिया है। फरवरी 2015 में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस संस्थान को मौलाना आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी, परंतु अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। इस अवसर पर प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डाॅ. अम्मार रिज़वी ने प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से मांग की कि विश्वविद्यालय के स्थापना सम्बंधी मानकों को शिथिल किया जाये और नगरीय क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता 10 एकड़ व ग्रामीण क्षेत्र में भूमि की उपलब्धता चालीस एकड़ निर्धारित की जाये। अम्मार रिज़वी ने आश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की नई सरकार शीघ्र ही इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा देगी।
बाक्स 2
नय्यर जलालपुरी के संचालन ने आगंतुकों का दिल जीता
पूरे कार्यक्रम का संचालन लखनऊ विश्वविद्याालय के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी ने की। अपने खास अंदाज और वाक्पटुता के कारण अपने संचालन से उन्होने सभी आगंतुकों का दिल जीत लिया। अपने बोलने की कला की बदौलत उन्होने एक सेकेण्ड के लिए भी कार्यक्रम को नीरस या बोझिल नहीं होने दिया। अतिथियों को उद्बोधन के लिए आमंत्रित करने के लिए उन्होने उर्दू भाषा के चुनिन्दा अशआर का इस्तेमाल किया। संचालन के दौरान कई बार उन्होने तुलसीदास के दोहों और चैपाइयों से भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
बाक्स3
इनको मिला स्मृति चिन्ह
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल राम नाईक ने कई महानुभावों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। स्मृति चिन्ह पाने वालों में अवधनामा के कर्ता-धर्ता वक़ार रिज़वी, उर्दू के मशहूर आलोचक प्रो. शारिब रूदौलवी, डाॅ. अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी, सीतापुर के जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और मुख्य चिकित्साधिकारी शामिल थे।
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