रजनीश कुमार शुक्ल
ईवीएम को लेकर जो बम फूटा है वह लोकतंत्र के लिए बड़ी खतरे की घंटी है क्योकि चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हमेशा से हवाला देता आ रहा है। अगर ऐसी घटनाएं होती हैं तो जनता का विश्वास उठ जायेगा। लोकसभा चुनाव होने को हैं और उसपर ऐसी चीजों का दावा किया जाना सोचनीय है क्योंकि यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती ने भी दावा किया था कि उनके कार्यकर्ताओं ने बताया था कि ईवीएम में वह बीएसपी को वोट दे रहे थे तो भाजपा को वोट जा रहा था। इसी मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी उसके बाद फिर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी व अन्य दलों ने भी इस बात को लेकर गहरी नाराजगी जताई थी। सभी पार्टी के लोग पुन: चुनाव के लिए बैलट पेपर की मांग कर रहे थे। ईवीएम हैकिंग का मामला आने के बाद सभी पार्टी प्रमुखों ने लोकसभा चुनाव बैलट पेपर से कराने को कह रहे हैं लेकिन यह सम्भव नहीं है क्योंकि अभी लोकसभा चुनाव सर पर है।
जिस प्रकार अमरीकी टेक एक्सपर्ट सैय्यद शुजा ने ईवीएम हैक करने का दावा किया और ट्रांसमीटर के जरिए ईवीएम हैकिंग की बात कही उस पर अभी कुछ कहना सही नहीं होगा क्योंकि हैकरों को बुलाकर चुनाव आयोग ईवीएम मशीन को हैक कराकर देखना चाहिये कि यह सम्भव है कि नहीं। तभी किसी परिणाम पर पहुँचा जा सकता है क्योंकि दावे करना आसान है पर उसको कर दिखाना उतना ही कठिन है।
शुजा ने जिस प्रकार 2014 और 2015 के चुनावों में हुई टांसमीटर से हैङ्क्षकग को लेकर गोपीनाथ मुंडे, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस का नाम लिया और इस कॉफ्रेंस में कपिल सिब्बल का मौजूद होना और बाद में सफाई देना कि मैं किसी निजी काम से लंदन गया था और मुझे प्रोग्राम में बुलाया गया तो मैं चला गया। मुझे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आशीष रे का ईमेल भी आया था और मैं आशीष रे को वह पहले से जानता हूँ। यदि वह पहले से जानते थे तो क्या उनको इस कॉन्फ्रेंस के बारे में जानकारी न होना एक कूटिनीतिक राजनीति की ओर इशारा देता है। हैकर का यह दावा करना कि 2009 से 2014 तक ईसीआईएल कम्पनी में काम किया था और उसकी डिजाइन बनाई थी। ईसीआईएल ने कहा था कि क्या ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सकता है कि नहीं इसका पता लगायें। लेकिन इन बातों को ईसीआईएल ने नकार दिया और बताया था कि सैय्यद शुजा हमारी कम्पनी में काम नहीं किया था और उससे उनकी कम्पनी का लेना-देना नहीं है।
उधर भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इस कॉन्फ्रेंस को प्रायोजित बताया था और कहा था कि लंदन में बैठकर लोग लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में होने वाली हार के कारण यह मुद्दा उठाया जा रहा है। इस मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा दरकिनार कर दिया और बताया कि यह अफवाह है। ईवीएम हैकिंग के दावे का मामला हमारे संज्ञान में आया है। भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीन को हैक नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग ने कहा था इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जायेगी। क्योंकि लोक सभा चुनाव के कुछ दिन पहले ईवीएम हैक करने के दावे करने और लोगों के मन में संदेह पैदा करने की कोशिश की गई है। इस संदेह को मिटाना होगा। दूसरे दिन ही इस मामले का संज्ञान में लेते हुए दिल्ली पुलिस से मामला दर्ज कर जाँच कराने के लिए कहा था। वहीं यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है। देखा जाये तो देश से भागा हुआ व्यक्ति इस बात का दावा कर रहा है और सच्चाई का ढिंढ़ोरा पीटने वाली आम आदमी पार्टी भी इस दांव पेंच में फंस गई। उसका नाम आने से खलबली मची पड़ी है। गोपीनाथ मुंडे की कार एक्सीडेंट का मामला पुलिस से तो कोई खुलासा नहीं हुआ लेकिन शुजा के बयान को हल्के में लेना सही नहीं है उसमें कुछ न कुछ तो सच्चाई जरूर होगी क्योंकि पंकजा मुंडे ने एक्सीडेंट के मामले पर आशंका जतीई थी।
मानने की बात तो यह है कि जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं तब-तब ईवीएम को लेकर शिगूफे छूटते रहे हैं चाहे वह गुजरात का चुनाव हो या अन्य विधानसभा चुनाव। जिन राज्यों में कांग्रेस या अन्य दलों की सीटें कम निकलती थी वहाँ सारा ठिकरा ईवीएम पर फोड़ दिया जाता था। जब राजस्थान, छत्तिसगढ़, मध्यप्रदेश में भारी बहुमत से जीत हुई तो इस मुद्ïदे को भूल गये और अब लोकसभा चुनाव होने को है तो एक नया मुद्दा सामने आ गया।
2017 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए चुनावों के बाद बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी समेत कुछ अन्य राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने एक बार डेमो बनाकर दिखाया था कि ईवीएम कैसे हैक की जाती है। बाद में उस समय के चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने सभी दलों को 3 जून 2017 को ईवीएम हैक करने के लिए चार घंटे का समय दिया था और बोले थे कि हैक कर दिखाओ। तब सभी पार्टियों के लोगों ने अपने-अपने तकनीकी का इस्तेमाल किया और नतीजा शून्य निकला। अब ऐसी बातों का आना क्या चुनावी स्टंट है क्योंकि हाल में ही लोकसभा चुनाव है। नसीम जै़दी ने पहले ही बताया था कि यह प्रचारित किया जा रहा है कि ईवीएम विदेश से आ रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है। हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं। इन्हें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया तैयार करता है और कड़ी निगरानी के बीच यह मशीने बनाई जाती हैं।
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