BRIJENDRA BAHADUR MAURYA………..
ईद के पहले नियुक्ति आदेश पाने के इंतेज़र में मोअल्लिमे उर्दू डिग्री धारक
पूर्व सरकार में लापरवाही से रुकी हुई है नियुक्ति प्रक्रिया
लखनऊ।शुक्रवार को उर्दू फरोग मोआलिमिन एसोसिएसन के तत्वधान में उर्दू डिग्री धारको ने परिषदीय विद्यालयो में नियुक्ति पाने को लेकर पत्रकारो से अपनी व्यथा जाहिर की।एसोसिएसन के प्रदेश अध्य्क्ष खालिद मोईन ने बताया की पिछली समाजवादी सरकार ने 2013 में परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक उर्दू 4280 पद सृजित किए थे जिसमें जामिया उर्दू अलीगढ़ की मोअल्लिमे-उर्दू डिग्री धारकों को पात्र माना गया था पर शर्त लगा दी गई की 11-8-1997 के पूर्व के मोअल्लिमे उर्दू ही इसमें आवेदन के पात्र होंगे।पूर्व में 11-8-1997 को तत्कालीन सरकार ने 27 डिग्रियां रद्द कर दी थी।सरकार के इस आदेश के खिलाफ मोहम्मद नफीस में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दायर की जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने दिनांक 11-5- 1999 को रिट संख्या 19324/1999 में 11-8-1997 के जिओ को निरस्त कर दिया और इस प्रकार 11-08-1997 का शासनादेश समाप्त हो गया लेकिन फिर भी हमें 11-08- 1997 के आधार पर भर्ती प्रक्रिया से रोका गया और आज भी रोका जा रहा है
सरकार की इस हठधर्मी के खिलाफ हमने उच्च न्यायालय गुहार लगाई और माननीय उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ ने मामले की सच्चाई को उजागर करते हुए 16-09-2014 को रिट संख्या 34911/2014 अंजुम शादाब व अन्य के साथ हमारे पक्ष में आदेश पारित किए लेकिन समाजवादी सरकार और उस दौरान के अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का कोई संज्ञान नहीं लिया।और जब हम ने धरना प्रदर्शन के द्वारा अपनी बातें सरकार और उनके कारिंदो तक पहुंचाने की कोशिश की तो सरकार हमारे खिलाफ हो गई और माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ द्वारा रिट संख्या 3491/2014 में पारित आदेश के खिलाफ तथा माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में विशेष याचिका 315/2015 योजित कर दी।इसके बाद 9 जनवरी 2016 को फिर समाजवादी सरकार ने सहायक अध्यापक उर्दू के 3500 पद सृजित किए जिसमें फिर 11-08- 1997 से पूर्व की शर्त लगा दी गई इस बार फिर हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने मामले की नजाकत को समझते हुए 19-02-2016को रिट संख्या 3018/2016 तलत शाहीन एवं अन्य में हमारे काउंसलिंग करा कर हमारी सीटें सुरक्षित करने का आदेश पारित किया।न्यायालय का आदेश का अधिकारियों ने संज्ञान लिया और हमारी सीटें सुरक्षित हो गई फिर 30 मई 2016 को माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने रिट संख्या 3018/2016 में फिर आदेश पारित किया की सीटें खाली न रखी जाएं बल्कि इनको न्यायालय के आधीन नियुक्ति दे दी जाए।लेकिन 30 मई 2016 के आदेश का भी सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया और हम लोग धरना प्रदर्शन करते रहे।अब सत्ता बदल चुकी है सबका साथ सबका विकास के नाते के साथ प्रदेश में भाजपा की सरकार काम कर रही है तो हमने अपनी बातें सरकार तक पहुंचाने के लिए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष जनाब तनवीर रिजवी अपना रहबर बनाया है ताकि 3 साल से परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक उर्दू बनाने का हमारा सपना हकीकत में बदल सके इस दौरान माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में डिवीजन बेंच ने बेसिक शिक्षा सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दायर विशेष याचिका 315/2015 को 8 मई 2017 को खारिज करते हुए माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 3491/2014 में पारित आदेश को सही ठहराया है। इस प्रकार अब मोअल्लिम उर्दू सत्र 1997 के अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता बिल्कुल साफ हो चुका है पर खेद का विषय है कि 8 मई से अब तक प्रशासन ने इस सिलसिले में कोई कदम नहीं उठाया है इसलिए इसलिए इस समय योगी आदित्यनाथ से उम्मीद है कि आने वाली ईद से पहले वह हमारी नियुक्ति का आदेश पारित कर के हमारी ईद को सच्ची ईद में बदल देंगे साथ ही 4000 सहायक अध्यापक उर्दू भर्ती प्रक्रिया पर 23 मार्च 2017 को लगी रोक को तत्काल हटाकर सत्र 1997 तक के मोअल्लिमे डिग्री धारकों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश पारित करेंगे।
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