जनसत्ता में छपी एक ख़बर के अनुसार केंद्र सरकार 4.5 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के आधार कार्ड रद्द करने वाली है.
अख़बार का कहना है कि लोगों ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग के कार्ड के आधार पर भारत में यूआईडीएआई से आधार पहचान पत्र हासिल किया था. जिसको केंद्रीय सरकार रद्द करने की योजना तैयार कर रही है.
केंद्र सरकार ने दुसरे राज्यों से भी रोहिंग्या शरणार्थियों संबंधी सभी आंकड़े मांगे हैं और कहा है कि यदि अवैध शरणार्थियों ने अगर पहचान संबंधी दस्तावेज़ जैसे वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस धोखे से हासिल किए हैं तो राजय सरकार भी उन्हें रद्द कर सकती है.
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुले शब्दों में कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान बभारत के लिए ख़तरा है. उन्होंने कहा कि किसी भी रोहिंग्या को भारत में शरण नहीं मिलेगी. म्यांमार से घुसे लोग शरणार्थी नहीं हैं. गृहमंत्री ने कहा कि रोहिंग्याओं के मुद्दे पर म्यांमार से बात हुई है. म्यांमार इन्हें वापस लेने को तैयार है. रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ लोगों के आतंकवाद से जुड़ने के सबूत मिले हैं. भारत यदि रोहिंग्या को वापस भेजे जाने की बात करता है तो लोगों को आपत्ति क्यों है?