अपना नही है, तो अपना बना लीजिये

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वकार रिजवी
लम्बे अरसे से हरएक ज़ुबान पर एकबात आम है कि अपना भी एक मीडिया हाउस होना चाहिये आजकल कुछ ज़्यादा ही इसका शोरगुल है ख़ासतौर पर सोशल मीडिया पर। लेकिन अपने मीडिया हाउस चाहने वाले ख़ुद भी नहीं जानते कि वह अपना कैसा मीडिया हाउस चाहते हैं? क्या ऐसा, जो आपके हुक़ूक़ की लड़ाई लड़ सके, हुकूमत से टकरा सके, आपकी आवाज़ बने, क़ौम को बेदार करे, एकजुट करे, एकसफ़ में खड़ा करें? तालीम-ए-आफ़ता करने के असबाब पैदा करे? ज़ालिम के खि़लाफ़ हो मज़लूम की आवाज़ बने, किसी कारपोरेट, सियासी पार्टी और मज़हबी तंज़ीमों से मुसतसना हो तो ऐसे तो बहुत से अख़बार है,ं चैनल हैं, न्यूज़ पोर्टल हैं जो आपके लिये हुकूमतों से आपकी लड़ाई लड़ रहे हैं, आपकी बात कर रहे हैं, आपकी आवाज़ उठा रहे हैं, क़ौम को बेदार भी कर रहे हैं और क़ौम को एकजुट भी कर रहे हैं लेकिन आप दानिश्वर, मुंसिफ़, आज़ाद ख़्याल, ग़ैर मुतासिब और सेक्यूलिरिज़्म अफऱाद की सफ़ में अपने को दिखाते तो ज़रूर हैं लेकिन हैं नहीं क्योंकि आपने तास्सुब की ऐसी ऐनक लगा रखी है जिसमें आपको अभी भी सुन्नी, शिया, बरेलवी और वहाबी ही दिखते हैं मुसलमान कोई नहीं दिखता अगर ऐसा न होता तो आप कभी अपना मीडिया हाउस बनाने की बात न करते बल्कि जो भी आपके अपने मीडिया हाउस की ज़रूरतों को पूरी करता आप उसको अपना लेते।
अगर अपने से मुराद मुसलमान है या मुसलमानों के उस फिरक़े से है तो पिछले 70 सालों से सभी फिरक़े के लोगों नें विधान सभा और संसद में आपकी नुमाइंदगी की लेकिन कितनों ने आपके लिये अपनी पार्टी या अपनी सरकार के खि़लाफ़ जाकर आपका साथ दिया  ? पिछली विधान सभा में 64 एम. एल. ए. थे और जब मुजफ़फ़ऱनगर में मुसलमानों के घर जल रहे थे तो सब के सब सैफ़ई में रास लीला देख रहे थे आज भी 27 एम. पी. पार्लियामेंट में हैं लेकिन क्या कोई अपनी पार्टी के खि़लाफ़ या साथ में आपके साथ शाहीन बाग़ से लेकर दिल्ली में हर रोज़ हो रही गिरेफ़ तारी में आपके साथ खड़ा हुआ।
इसलिये अपना अपना न कीजिये जो अपनों का साथ दे, अपनाईयत की बात करें बस उन्हें अपना लीजिये वरना मौलाना आज़ाद से ज़्यादा तो कोई अपना नहीं हो सकता और उनका अख़बार ”अल-हिलाल से ज़्यादा कौन अपना अख़बार हो सकता है आपने तो उसे भी अपना नहीं बनाया और वह माज़ी की दास्तां बन गया, इसलिये लिल्लाह माज़ी से सबक़ लें और किसी नये अपने की तलाश छोड़कर मौजूद किसी अपने को अपना बना लें उसी में हम सब का भला है और आपके अपने मीडिया हाउस की ताबीर भी।
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