शिक्षा समाज व संस्कृति का आधार हैं – फुरकान 

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शिक्षा समाज व संस्कृति का आधार हैं – फुरकान
शिक्षा से समाज व संस्कृति का विकास  होता है।देश व समाज के विकास के लिए सरकार तरह-तरह के काम करती है पर जबतक शिक्षा को प्रथम श्रेणी पर नहीं रखा जाता तबतक समाज व संस्कृति का विकास नहीं हो पाएगा ।फुरकान ने यह बात नयी शताब्दी में शिक्षा की चुनौतियाँ व अवसर पर हो रहे एक दिवसीय सेमिनार में कहा ।उन्होंने लोगों से सवाल करते हुए कहा कि क्या कोई ऐसा दस्तावेज है जो शिक्षा को परिभाषित कर सके।
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में हो रहे एक दिवसीय सेमिनार में मुख्यअतिथि  के रुप में मौजूद एआईयू दिल्ली के महासचिव फुरकान कमर ने शिक्षा को बढ़ावा देते हुए कहा कि शिक्षा ही एक मात्र साधन है जिसके जरिए मानव जीवन का विकास होता है ।
समाज में हो रहे क्रियाकलाप को शिक्षा की गुणवत्ता व महत्वता से जोड़ते हुए आगे कहा कि सभी को शिक्षा से जुड़ी हर चीजों को समझने की ज़रूरत हैं ताकि समाज व संस्कृति का विकास हो सके ।
वही एसके भटनागर ने शिक्षा को मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि शिक्षक व पत्रकार शिक्षा जगत को विकसित करने का वह साधन है जिसके आधार पर समाज व संस्कृति का विकास होता है ।इसीलिए इन लोगों को अपने विवेक  वह समाज में हो रहे शैक्षिक गतिविधियों को सुचारु रूप से लोगों के सामने पेश करनी चाहिए ।इस अवसर पर अन्य अतिथियों के रूप में संतोष पांडा, अजीत झा इंडियाटुडे के शोध संपादक व अन्य लोग मौजूद रहें ।
सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए शिक्षा विभाग के डीन अरविंद कुमार झा ने विषय को प्रस्तुत करने हुए कई महत्वपूर्ण व प्रासंगिक प्रश्न उठाये।उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षा क्या है वर्तमान समय में विश्वविद्यालय शिक्षा के क्या आवश्यकता है,गुनवक्ता क्या होती है उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो बौद्धिक विचार को प्रकट करे साथ ही समाजिक  प्रक्रियाओं को योग्य बनाये। आज अधिकार विवि को ए ग्रेट मिल जाता है परंतु वे अपना पूर्ण योगदान नहीं दे पा रही है तो फिर शिक्षा की महत्वपूर्ण चुनोतियाँ शिक्षा में ज्ञान मिमांसा को कैसे उन्नत करे ।
अजीत झा ने कहा कि शिक्षा निजी व प्राम्भिक शिक्षा प्रतिकल है आज के समय मे अधीक्षित व प्राथमिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति लगभग एक जैसे है ।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर शानू सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में उच्च शिक्षा की आवश्यकता है और वर्तमान समय में नए दृष्टिकोण के साथ शिक्षा को आरम्भ करना चाहिए ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग  एचओडी हरिशंकर सिंह भी रहे  ,शिक्षक व शिक्षा विभाग के छात्र छात्राएँ मौजूद रही जिसमें डॉक्टर विक्टोरिया सूजैन,संगीता चौहान ,राजेश इक्का ,लालिमा ,सुभाष मिश्रा ,विवेकनाथ त्रिपाठी ,अंशू ,श्रुति ,रशमी ,जयश्री ,अंशूमान मौजूद रहें
सतीश संगम की रिपोर्ट
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