बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने मध्य प्रदेश (MP) में कांग्रेस के साथ गठबंधन से साफ़ तौर पर इंकार कर दिया है. तो कांग्रेस ने भी अकेले ही चुनावी रण में उतरने का इरादा ज़ाहिर कर दिया है.
प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए BJP और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान शुरू हो चुका है.प्रदेश में पिछले 15 वर्षो से कांग्रेस सत्ता से बाहर है.
हाल ही में MP के सतना में कांग्रेस पार्टी की नेता शोभा ओझा ने कहा था कि “BSP के नेताओं और कांग्रेस के बीच गठबंधन के लिए बात चीत जारी है.” लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जिसके बाद मायावती ने कांग्रेस के साथ ना सिर्फ हाथ मिलाने से बल्कि ये आरोप भी लगाया कि वो राहुल गाँधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने की कोशिश कर रही है.
उत्तर प्रदेश के उप चुनाव और कर्णाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गाँधी ने मायावती को गले लगाया. जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज़ हो गयी थी कि दुसरे प्रदेशो में होने वाले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और BSP एक साथ होंगे.
लेकिन विगत 3 अक्तूबर को एक प्रेस वार्ता में मायावती ने कांग्रेस पार्टी को अहंकारी घोषित कर दिया, साथ ही कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ये लोग BJP को हारने में दिलचस्पी नहीं रखते बल्कि क्षेत्रीय पार्टियों के खात्मे के इच्छुक हैं.
लेकिन मायावती के इस बयां की वजह क्या है, हाल ही में आपने अखबारों के किसी कोने में देखा होगा कि इलाहबाद हाई कोर्ट ने 14 अरब रुपये के स्मारक घोटाले में CBI जाँच करने की मांग करने वाली याचिका को योगी सरकार (बीजेपी) की सिफारिश पर निरस्त कर दिया गया.
हालाँकि गठबंधन से इंकार के सम्बन्ध में मायावती का कहना है कि कांग्रेस पार्टी अहंकारी है और क्षेत्रीय पार्टियों के हित में कार्यरत नहीं है.
इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि BSP ने 50 सीटों की मांग की थी जिस पर कांग्रेस की तरफ से सहमति नहीं बन सकी और गठबंधन बनते बनते रह गया.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में MP विधान सभा की 230 सीटों में 165 BJP, कांग्रेस 58 और BSP के पास 4 विधायक हैं.
राजीनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान के विरुद्ध जन आदेश आने की सम्भावना अधिक है.