उन्होंने एक पुरुष यात्री से सीट देने के लिए कहा तो उसने कहा कि मैं बहुत दूर से सवार हूँ आप कही दूसरी जगह बैठ जाईए तब उन्होंने 1090 पर फोन करके सूचना दी तो उसे जी आर पी का नम्बर दिया गया जिस पर उन्होंने तत्काल पूरी जानकारी देते हुए अपनी समस्या बताई लेकिन रेलवे पुलिस द्वारा कोई सहायता नहीं उपलब्ध कराई गई और कहा गया कि हमारी तरफ से कोई सहायता नहीं उपलब्ध हो सकती जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रार्थिनी को बैठने की सुविधा तो दूर की बात है उसे रास्ते भर लोगों द्वारा इतना परेशान किया गया कि उसे बता पाना मुश्किल है l बार के महामंत्री विजय कुमार पाण्डेय ने मामले पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकरण बेहद गम्भीर है और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति रेलवे का इस तरह का रवैया चिंताजनक है उन्होंने कहा कि इसकी लिखित शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रेलवे) के समक्ष दर्ज करा दी गई है यदि जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही नहीं की जाती है तो बार के अधिवक्ता सडक पर उतरकर कार्यवाही करने की मांग करेंगे l
बार के पूर्व महामंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता डी एस. तिवारी ने गुस्से का इजहार करते हुए रेलवे को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि रेलवे पुलिस की वजह से महिला अधिवक्ता के साथ अभद्रता का व्यवहार हुआ जो कि कानूनी और नैतिक रूप से गलत है, वरिष्ठ अधिवक्ता शमशाद आलम ने कहा कि महिला सुरक्षा की उपेक्षा पूरे तंत्र पर सवालिया निशान है क्योंकि जमीनी हकीकत यही है कि एक अधिवक्ता के साथ करीब तीन घंटे तक अभद्रता की गई जिसके लिए रेलवे पुलिस पूरी तरह जिम्मेदार है और हम इसे किसी भी तरह बर्दास्त नहीं करेंगें हम इसके लिए लोकतान्त्रिक संघर्ष के पथ पर उतर सकते हैं l
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