कर्नाटक विधानसभा चुनावो के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. इस संबंध में चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 12 मई को वोटिंग होगी और 15 मई को नतीजों को ऐलान होगा. इसके साथ ही कर्नाटक में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है. रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं होगा. चुनाव आयोग ने कहा कि कमजोर तबके के वोटरों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी. राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए. कर्नाटक में सभी ईवीएम पर प्रत्याशियों की तस्वीर लगी होगी.
अमित मालवीय के ट्वीट से विवाद
इस बीच चुनाव आयोग के तारीखों की घोषणा से पहले ही बीजेपी आईटी मीडिया सेल के हेड अमित मालवीय के ट्ववीट से विवाद उत्पन्न हो गया. इस ट्वीट में कहा गया कि 12 मई को चुनाव होंगे और 18 मई को नतीजे आएंगे. इससे यह विवाद खड़ा हो गया है कि आखिर चुनाव आयोग की घोषणा से पहले अमित मालवीय को कैसे पता चल गया कि चुनाव तारीखें क्या होंगी? जबकि अभी चुनाव आयोग प्रेस कांफ्रेंस कर रहा था और उसमें यह तारीखों की घोषणा नहीं की गई थी? यह विवाद इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि इसमें की गई दो भविष्यवाणियों में से एक सटीक निकली. इस बाबत चुनाव आयोग से प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूछा गया तो मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि यह गंभीर मामला है. आयोग इसकी जांच करेगा.
अमित मालवीय ने चुनाव आयोग की घोषणा से पहले ही तारीखों का ऐलान कर दिया.इस ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया है.
कर्नाटक का किस्सा
वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. इससे पहले वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश की कुल 224 सीटों में से 122 कांग्रेस के खाते में गई थी, जबकि बीजेपी के खाते में 40, जेडीएस के खाते में 40 सीटें गई थीं. वहीं, बीजेपी से बागी हुए बीएस येदियुरप्पा के खाते में सिर्फ 6 सीटें ही गईं थी. इस बीच लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा फिर से बीजेपी में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने इस बार उनको अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस
मेघालय के हाथ से निकलने के कारण कांग्रेस की सत्ता अब केवल कर्नाटक, मिजोरम और पंजाब में बड़ी है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव कांग्रेस के लिए जीवन-मरण के प्रश्न जैसा है क्योंकि पार्टी वजूद की लड़ाई लड़ रही है.