तीन तलाक़ बिल के खिलाफ महिलाओं का ज़बरदस्त प्रदर्शन

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अब तक 16 राज्यों में हुआ विरोध प्रदर्शन,अब दिल्ली की तैयारी 

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बॉर्ड और तहफ़्फ़ुज़े शरीयत मुहीम व विभिन्न संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में आज राजधानी लखनऊ की ऐतहासिक टीले वाली मस्जिद में तीन तलाक़ बिल के खिलाफ महिलाओं ने ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन करते हुए बिल को शरीयत के खिलाफ बताते हुए इसको राज्य सभा से वापस लेने की मांगकरते हुए जिला प्रशासन के द्वारा  राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन भी सौंपा लगभग 3 घंटे तक चले इस सभा और प्रदर्शन में हज़ारों महिलाओं ने शामिल हो कर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का समर्थन और सरकार के बिल के खिलाफ हमला बोला।

ज्ञापन में मुख्य्ररोप से मांग की गयी कि इस्लामी शरीयत के कानून धार्मिक कानून है इसमें किसी तरह के कोई तबदीली नहीं हो सकती इसलिए राष्ट्रपति केंद्र सरकार को शरीयत में हस्तक्षेप न करने का आदेश दे। यह बिल देश के संविधान व दस्तूर की धारा और औरतों के हित के विरूद्ध है। हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि मुसिलम औरतों की सुरक्षा के नाम पर इस्लामी शरीअत में हस्तक्षेप न करे और हमारी मजहबी आजादी व इख्तियारात को छीनने की कोशिश न करे।

तीन घंटों तक होने वाले औरतों के इस जबरदस्त प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिला प्रशासन द्वारा भेजा गया। इस ज्ञापन में कहा गया है कि  तीन तलाक बिल मुसिलम औरतों की संवैधानिक व दस्तूरी मजहबी आजादी और इख्तियारात के विरूद्ध है। इस लिए इस जालिमाना और अन्यायपूर्वक बिल को तुरन्त वापस लिया जाए।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि आॅल इडिया मुस्लिम वूमेन विंग की सरबराह डा0 असमा जेहरा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि इस्लामी शरीयत  में किसी तरह की कोई मदाखिलत बर्दाश्त नहीं की जाएगी उन्होने कहा कि हमारी  शरीयत में कोई कमी नहीं है सबको ाधजिकर दिए गए हैं तीन तलाक़ इस्लामि कानून का हिस्सा है इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता ुहनोंने कहा कि राष्ट्रपति को चाहिए कि वह केंद्र सरकार को आदेश करें की इस  लिया जाए

पर  ममदूहा माजिद, निगहत परवीन खाॅ और आमिना रिजवान मोमिनाती ने तकरीरें कीं। इस प्रदर्शन में लखनऊ और आस पास की हजारों मुस्लिम औरतों ने शरअई दायरे में रहते हुए इस्लामी शरीअत की हिफाजत के भरपूर जज्बे से हिस्सा लिया।

तकरीर करने वाली औरतों ने कहा तीन तलाक बिल देश के संविधान और औरतों के अधिकारों के खिलाफ है और यह शरीअत में खुला हस्तक्षेप है और हम इसको किसी भी कीमत में कुबूल नही कर सकते। औरतों ने कहा कि शरीअत पर अमलकरने में हमारा तहफ्फुज और वकार है। हम इससे कभी भी अलग नही हो सकते। हमरा संविधान भी हमें अपने मजहब और अपनी शरीअत परअमल करने की पूरी आजादी देता है। इस लिए सरकार हमारे मजहबी मुआमलें में हस्तक्षेप न करें।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य डा. अस्मां जहर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने बिल लाने की जल्दी की। जबकि ऐसे बिल की मुस्लिम समुदाय कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान कर किसी को अपने मजहब को मानने की आजादी देता है। इसलिए शरअई कानून मानना हमारा संवैधानिक हक है। जो हमसे छीना नहीं जा सकता है। डा. जहरा ने कहा कि लखनऊ में हजारों मुस्लिम महिलाओं को सारे काम छोड़कर विरोध प्रदर्शन में शामिल होना बताता है कि हर मुस्लिम महिला अपने शरई कानून से खुश है। उन्होंने कहा कि अभी तक हम देश के 16 राज्यों में इसी तरह विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। रविवार शाम ही दिल्ली में मीटिंग होनी है। इसके बाद दिल्ली में प्रदर्शन की तारीख का एलान कर दिया जायेगा। विरोध प्रदर्शन की संयोजक निगहत परवीन खान ने कहा कि सरकार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को खत्म करना चाहती है।कनवीनर मौलाना नजीबुल हसन सिद्दीक़ी नदवी ने तमाम उपस्थित लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होने कहा कि आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड हिन्दुस्तानी मुसलमानों की संस्था है। इसका काम इस्लामी शरीअत की हिफाजत करना है। हमने बोर्ड के आदेश पर यह अमन प्रदर्शन किया है। सरकार को चाहिए कि अपने नागरिकों की बेचैनी को महसूस करे और उनकी तकलीफो को दूर करना चाहिए ताकि कौम व राष्ट्र प्रगति के र्माग पर अग्रसर हो।इस अवसर पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना अतीक बस्तवी, जफरयाब जीलानी विशेष तौर पर मौजूद थे।

प्रदर्शनकारियों और अन्य लोगों का स्वागत मौलाना सै शाह फजलुलमन्नान रहमानी इमाम टीले वाली मस्जिद ने किया। उन्होने अपनी तकरीर में कहा कि इस्लामी शरीअत की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि हम उस पर पूरी तरह अमल करें।

मेडिकल कैम्प, जगह-जगह पानी और शरबत का इंतजाम भी किया गया था।इजलास और प्रदर्शन में शामिल होने लिए महिलाएं सुबह से ही टीले वाली मस्जिद पर पहुंचना शुरू हो गयी थी  प्रदर्शन में साफ़ तौर से पैगाम देने की कोशिश की गई कि मुस्लिम समाज की महिलाएं शरीअती कानून से खुश हैं और उन्हे तीन तलाक जैसे जानलेवा और गैर जरूरी बिल की जरूरत नहीं है।

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