कुछ लठैतों को मैं जानता हूं, लगता है बुलाना पड़ेगा

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मुख्यमंत्री के गोरखपुर दौरे से ठीक पहले पटरी पर चल रही जिला अस्पताल की व्यवस्था को बिगाड़ने की हो रही साजिश

जिला अस्पताल गोरखपुर का मामला

अवधनामा ब्यूरो

गोरखपुर। मुझ पर 307 का मुकदमा चल चुका है, कुछ लठैतों को मैं जानता हूं, लगता है बुलाना पड़ेगा। यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं बल्कि चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 अंबुज श्रीवास्तव के शिकायती पत्र की लिखी वो लाइनें हैं जो उन्होंने हनुमान प्रसाद सिंह, प्रभारी अधिकारी (फार्मेसी) द्वारा उन्हें धमकी देने के बाद जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक को लिखा है। बताते चलें कि हनुमान प्रसाद सिंह ने 2 जनवरी 2017 को जिला अस्पताल में प्रभारी अधिकारी फार्मेसी के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। इससे पहले वह सीएचसी हरनही पर कार्यरत थे। सूत्रों की माने तो सीएचसी हरनही से उन्होंने दिसंबर 2016 तक का वेतन भुगतान लिया लेकिन उनकी जीपीएफ पासबुक में हरनाही से वेतन भुगतान फरवरी 2017 तक दिखाया गया है, अगर ऐसा है तो यह कैसे संभव हुआ। वही अस्पताल में तैनात कुछ कर्मचारियों की माने तो हनुमान प्रसाद सिंह बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाने के बाद अस्पताल प्रबंधन को अंगूठा दिखाते हुए नदारत हो जाते हैं।

शुक्रवार को हनुमान प्रसाद सिंह की पत्नी आशा सिंह द्वारा जिला अस्पताल प्रमुख अधीक्षक डॉ0 एच0आर0 यादव के खिलाफ उच्चाधिकारियों को दिए गए एक शिकायती पत्र के बाद यह मामला सामने आया । अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि यह प्रकरण जिला अस्पताल के स्टोर का चार्ज लेने की कवायद का एक हिस्सा है। बहरहाल स्टोर का चार्ज लेने के लिए शुरू की गई लड़ाई अब सतह पर आती दिखाई दे रही है।

पिछले दिनों हनुमान प्रसाद ने अपनी कुछ मांगों के संबंध में प्रमुख अधीक्षक डॉ0 एच0आर0 यादव को एक पत्र दिया था जिसमें एक मांग स्टोर का चार्ज देने की भी थी । जबकि नियमताः जिला चिकित्सालय में एसएमओ स्टोर का पद स्वीकृत है और वर्तमान में डॉ0 अंबुज श्रीवास्तव के पास इसका चार्ज है जबकि हनुमान प्रसाद सिंह के रिटायरमेंट में लगभग केवल छः माह ही शेष हैं।

सूत्रों की माने तो हनुमान प्रसाद सिंह के इस प्रकरण में अस्पताल की व्यवस्था से नाखुश एक गुट द्धारा धरना प्रदर्शन या अनशन के अलावा जिले भर के फार्मासिस्टों की जिला अस्पताल पर जुटान कराकर दबाव बनाने का प्रयास किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो जिला अस्पताल अपने अव्यवस्था वाले पुराने दिनों में लौट सकता है । पिछले वर्ष कुछ इसी तरह की अराजकता अस्पताल परिसर में देखने को मिली थी तब एसआईसी द्वारा बी0बी0 सिंह और अशोक मौर्या के खिलाफ कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था जो अब हनुमान प्रसाद सिंह के साथ आंदोलन की तैयारी में हैं। इसके अलावा बी0बी0 सिंह के ऊपर पिछले वर्ष जिला महिला अस्पताल के एक कर्मचारी सुदामा प्रसाद को बुरी तरह पीटने के बाद कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत हुआ था। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के गोरखपुर आगमन से ठीक पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय में पटरी पर चल रही व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए अराजक कर्मियों का एक गुट पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहा है । ऐसे में अब सवाल यह है कि यहाँ ईमानदारी से काम करने वाले व्यक्ति कहां जाए और क्या करें।

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