अति आत्मविश्वास ने कमल को मुरझाया

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-जनता की नाराजगी भी नहीं भांप पाया भाजपा नेतृत्व,-लखनऊ से दिल्ली तक कंपन हुआ
सैयद निजाम अली
लखनऊ। गोरखपुर व फुलपुर संसदीय उप चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की करारी शिकस्त अति आत्मविश्वास व बड़बोलेपन तथा जनता की नाराजगी की वजह बनी।
 दोनों उप चुनाव से पहले भाजपा के नेताओं की तरफ से कहा जा रहा था कि जनता सपा, बसपा व कांग्रेस को पहले ही सबक सिखा चुकी है और  इन दोनों चुनावों में भी उसको सबक सिखायेंगी। भाजपा का नेतृत्व व संगठन को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि सपा व बसपा में अंदर ही अंदर खिचड़ी पक रही है। नामांकन होने के बाद बीच में ही बसपा की मुखिया मायावती ने जिस तरह दांव खेलकर सपा उम्मीदवारों के समर्थन की घोषणा की उससे भाजपा ने बहुत हल्के में लिया जबकि बसपा कैडर ने बूथ लेवल तक इसकी तैयारी की थी और अपना वोट समाजवादी पार्टी की तरफ मोड़ दिया। इन दोनों ही चुनावों में दलितों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों ने एकजुट होकर  समाजवादी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों को वोट दिया।
गोरखुपर में भाजपा ने ब्राहमण उपेंद्र दत्त शुक्ल को अपना उम्मीदवार बनाया था इससे वहां की ठाकुर लाबी काफी नाराज थी
लेकिन भाजपा नेतृत्व इसे भांप नहीं पाया। सरकार व संगठन को यह उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी की वजह से दोनों जगह भाजपा उम्मीदवार आसानी से जीत जायेंगे।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने स्वीकार किया कि हम सपा-बसपा  गठबंधन को समझने में बुरी तरह नाकाम रहे। हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि बसपा का कैडर वोट सपा को मिलेगा।
बसपा की मुखिया मायावती को ज्यादातर सियासत दां जिद्दी व घंमडी मानते है लेकिन जिस तरह उन्होंने भाजपा को हराने के लिए सही वक्त पर हाथी से उतर साइकिल की सवारी की उससे भाजपा के रणनीतिकार भी चौंकन्ना रह गये। सबसे अच्छी बात यह रही कि लाल बिग्रेड ने भी इस चुनाव में अपनी हल्की ही सही लेकिन उपस्थिति दर्ज कराते हुए समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया। यह प्रयोग ठीक वैसा ही हुआ जब १९७७ के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए सभी विपक्षी पाॢटयां जनता पार्टी केे बैनर तले आ गयी थी।
फुलपुर जो आजादी के बाद तीन लोकसभा चुनाव मेें देश के पहले प्रधानमंत्री पंंडित जवाहरलाल नेहरु की सीट रही थी और जहां २०१४ के चुनाव मेें पहली बार भाजपा जीती थी वहां इस बार भाजपा उम्मीदवार ५९,६१३ वोटों से बड़े अंतर हारा। गोरखपुर में भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र दत्त शुक्ल  भले बहुत बड़े अंतर से नहीं हारा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो १९ मार्च को अपनी सरकार का पहला साल पूरा होने पर जश्न मनाने की तैयारी कर रहे थे उनकी सीट से भाजपा उम्मीदवार की हार के सियासी माने बहुत ज्यादा बताये जा रहे है। भाजपा की हार से लखनऊ से लेकर नयी दिल्ली तक भाजपा नेतृत्व हिल उठा है और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा.महेंद्र नाथ पांडेय को दिल्ली तलब कर लिया। भाजपा हार से यहां प्रदेश भाजपा कार्यालय में सन्नाटा छाया हुआ था। कोई कुछ बोलने की स्थिति में नही था।
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